मेरा काम बंगाल की इंडस्ट्री से बहुत जुड़ा हुआ है
और इसकी हर करवट से मैं वाक़िफ़ हूँ
जितना एक पिता अपने पुत्र की हरकतों से।
मैन्युफ़ैक्चरिंग इंडस्ट्री इस वक़्त
जैसे कराह रही है
और मैं धृतराष्ट्र की तरह उन्हें
गुणवत्ता का पाठ पढ़ा रहा हूँ
मैं बोल रहा हूँ और खला में
मेरी बातें गूँज के मुझसे आ कह रही है
तू मूर्ख है जब पेट भरता है तब जा के
प्रगति और भविष्य की बातें
अच्छी और प्यारी लगती है
पश्चिम बंगाल जहाँ सबसे पहले
तकनीक ने पाँव धरा
बुद्धिजीवियों ने इसे सींचा और
जहाँ सूरज,हवा,बिजली,पानी
कोयला,लौह अयस्क,समंदर
नदी,सड़क,रेल सब मौजूद है
उस प्रांत में सर पर हाथ रखे
सब क्यों भाग रहे है??
भाग रहे या फिर सड़ने में आनंद ले रहे है
मेरी बातें कोलकाता वालों को चुभेंगीं
उनको लगेगा जैसे मैं कौन से ग्रह से आया हूँ
जैसा बोल रहा हूँ वैसा दिखता क्यों नहीं है
पर सच है बंगाल कोलकाता नहीं है
यहाँ बिजली बाक़ी प्रांत से इतनी महँगी है कि
अपना कारख़ाना बंद कर लोग
मजबूरन पड़ोस में खोल रहे है -झारखंड में
जमशेदपुर और धनबाद पनप रहा है आपकेपैसे पर।
निर्माण कारख़ाने से रोज़ नौकरी से निकाले जा रहे है
और छोड़ दिए जा रहे है आज़ाद होने के लिए
आज़ाद होना इतना आसान है ??
आकड़ों में मैं बहुत कमज़ोर हूँ
पर मिट्टी और हवा पहचाननी आती है मुझे
इन दोनों में पसीना नहीं सुर्ख़ लहू लिप्त है
परेशान इंसा सब देख रहा है सह रहा है
और विकल्प तलाश रहा है
पर विकल्प तो एक छलावा है
बातों का,दातों का,ज़ातों का
जो थक गया है वो कहाँ जाए
वो यहाँ टूटे या मर जाए
वो सोचता है
घर की दीवार तोड़ता है
बच्चों को छोड़ता है
माँ और साथी से मुँह मोड़ता है
जाता है परदेश एक रोटी है -सपनो की
चाक रोटी ,पहिए सी ,चंदा सी
सूरज सा पर जब नज़दीक जाता है
तो एक बल्ब टिमटिमाता है
पहले हैलोजन सा,टियूब लाइट सा,फिर सी एफ एल और अंत में एल इ डी दिखता है
और जब हाथ लगाता है तो मिलता है उसे
सिर्फ़ कुल्हाड़ी भयावह दर्द से आघात करती
कुल्हाड़ी और तब जाके उसकी यात्रा समाप्त हो जाती है
और दे जाती है दुनिया को एक सनसनी जो दस बजे
किसी चैनल की टी आर पी बढ़ाएगी।
पर बंगाल में कोलकाता में लोग कहेंगे
ये कौन है जो हमें भटका रहा
सब ठीक है तो क्यों चिल्ला रहा
बेकार में सबकी नींदे उड़ा रहा
और फिर मैं थक के सो जाऊँगा
और कल फिर गुणवत्ता के
गीतगाऊँगा और कहूँगा
अजीब लोग है कोई ऐट्टीट्यूड ही नहीं है
काम करने की और इंडस्ट्री चलाने की।